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प्रश्नों के उत्तर
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कि मांसाहारी को मदिरापान, व्यभिचारी तथा अन्य कुकर्मों की आदत पड़ जाती है और इस आदत के कारण वह चोरी, हत्या आदि घोर से घोर कृत्य करता हुग्रा भी शंकित नहीं होता ! दूसरा कारण यह है कि मांसाहारी की वुद्धि कुण्ठित हो जाती है, मस्तिष्क विचारशील ही नहीं रहने पाता और दिल कठोर बन यह त्रिदोष मिल कर आक्रमण करते हैं वहां मनुष्य किसी भी प्रथम से अधम कृत्य को निस्संकोच हो कर, कर बैठता है। जहां बुद्धि, विवेक का दिवाला निकल गया वहां मनुष्य की खैर नहीं
जाता है । जहां
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इस प्रकार मांसाहार धार्मिक दृष्टि से, मानव शरीर की रचना की दृष्टि से, आर्थिक दृष्टि से तथा स्वास्थ्य दृष्टि से भी त्याज्य है। और हेय है। समझदार मनुष्य को इस हिंसापूर्ण और अधर्मपूर्ण मांसभक्षण से सदा वचना चाहिए, तथा इसका परित्याग कर देना चाहिए ।
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शाकाहार और मांसाहार
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प्रश्न- पेट भरने के लिए आहार तो करना ही होता है और शाकाहार में भी हिंसा होती ही है । एक रोटी बनाने में हजारों गेहूं के दानों के जीवों की हिंसा करनी पड़ती है और मांस पकाने में एक बकरा कई व्यक्तियों के लिए पर्याप्त होता है । अतः हिंसा की दृष्टि से मांसाहार की अपेक्षा शाकाहार में अधिक प्राणियों की हिंसा होती है; फिर मांसाहार का क्यों . निषेध किया गया ?
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उत्तर - यह नितान्त सत्य है कि गृहस्थ को आहार प्राप्त करने में