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.. वंश परिचय जैनधर्मः प्रकटविभवः सङ्गतिः साधुलोकैः,
विद्गोष्ठी वचनपटुता कौशलं सत्कलासु । , साध्वी लक्ष्मी चरणकमलोपासनंसद्गुरुणां,
शुद्धशीलं मतिरमलिना प्राप्यते नाल्यपुण्यैः॥ जैन धर्म, संसार प्रसिद्ध वैभव, साधु पुरुषों की संगति, विद्वानों से पार्तालाप, वचन में चतुरता, उत्तम कलाओं में निपुणता, पतिव्रता स्त्री, गुरु के चरणों में भक्ति, शुद्ध आचरण, निर्मल तथा शुद्ध बुद्धि, यह दस विशेषताएं किसी जीव को कम पुण्य से प्राप्त नहीं होती। इनके लिए भारी पुण्य होना चाहिए । एक उर्दू की कहावत है कि
'तुख्म तासीर सोहबत का असर'। अर्थात् माता पिता का गुण संतान में जिस प्रकार अवश्य श्राता है उसी प्रकार संगति का प्रभाव भी अवश्य होता है। । ।
___ यह नियम अनादि काल से चला आता है कि माता पिता में जैसे संस्कार होते हैं वैसे ही संस्कार उनकी संतान में भी होते हैं। यद्यपि इस नियम के कुछ अपवाद भी देखने में आते है, किन्तु वह बहुत कम हैं और उनका कारण प्रायः संगति ही होता है । श्रेष्ठ संस्कारों वाले माता पिता की संतान प्रायः