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प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी
राजों के व्याख्यान सुने । समारोह के अन्त मे पूज्य श्री सोहन लाल जी महाराज ने निम्नप्रकार से पदवियां प्रदान की
मुनि श्री काशी राम जी महाराज-युवाचार्य की चादर । पंडित प्रवर मुनि श्री आत्माराम जी महाराज-उपाध्याय । मुनि श्री कर्मचंदजी महाराज-बहुसूत्री। मुनि श्री जड़ाउचंदजी महाराज-गणावच्छेदक । मुनि श्री लालचंदजी महाराज-गणावच्छेदक । मुनि श्री गणपतरायजी महाराज-गणावच्छेदक।
मुनि श्री मयारामजी महाराज एक अच्छे तथा प्रभावशाली साधु थे। उनको भी गणावच्छेदक बनाया गया।
मुनि श्री उदयचंदजी महाराज को श्राचार्य श्री जी ने गणी पद की चादर अर्पित की। यद्यपि मुनि श्री उदयचंद जी ने इस पद को लेने से बराबर इंकार किया, किन्तु पूज्य श्री के आग्रह तथा उपस्थित संघ की विनम्र प्रार्थना पर ध्यान देकर अन्त मे उनको गणीपद स्वीकार करना ही पड़ा। ___ इस अवसर पर आचार्य श्री ने यह महत्वपूर्ण घोषणा की कि
"मेरे द्वारा दिये हुए यह सभी पद बहुत अधिक महत्वपूर्ण हैं । मैंने पदवी दान का यह जो कुछ कार्य किया है वह संघ की व्यवस्था के लिये ही किया है। उसकी सफलता आप सब की सद्भावनाओं पर ही निर्भर है। इस लिये आप सब एक सूत्र मे बंध कर कार्य करो तथा इस प्रकार भगवान महावीर स्वामी के शासन के गौरव को बढ़ाओ। यह सभी पद नाम के लिये नहीं, वरन् कार्य करने के लिये हैं। आप सब अपने अपने पद के प्रति सच्चे रहे।"