________________
आत्म शक्ति दिया था, किन्तु भगवान महावीर स्वामी की आत्मिक शक्ति के सासने उसने सिर झुका कर हिंसा करना एक दम छोड़ दिया। भगवान् पार्श्वनाथ का जीव अपने मरुभूत हाथी के भव मे अत्यन्त प्रचण्ड था, किन्तु वह अपने पूर्व भव के स्वामी राजा अरविन्द को मुनि रूप मे देखते ही जातिस्मरण हो जाने तथा अरविन्द की आत्मिक शक्ति के कारण इतना शान्त हो गया कि पूर्णतया संयम का पालन करने लगा। साधु महात्माओं द्वारा शाप तथा अनुग्रह की घटनाओं से तो प्राचीन शास्त्र भरे पड़े हैं। हमारे चरित्रनायक पूज्य श्री सोहनलाल जी महाराज मा आत्मशक्ति का एक अक्षय भण्डार थे। यद्यपि वह यंत्र, मन तथा तंत्र के साधन से एक दम दूर थे, किन्तु उनके तप की शक्ति इतनी अधिक बढ़ी हुई थी कि न केवल उनमे, वरन् उनके अनेक शिष्यों में भी अनेक प्रकार की लब्धियां उत्पन्न हो गई थीं। यहां तक कि उनमें भविष्य की बात को बतलाने तक की भी शक्ति थी। इस अध्याय में उनके जीवन की कुछ ऐसी ही घटनाओं का वर्णन करने का यत्न किया जावेगा।
___एक गांव में कुछ दुष्ट व्यक्तियों ने अफवाह फैला दी कि जैन साधु बच्चों का ले जाते हैं। भला कहां तो अचौर्य महाव्रत के पालक जैन मुनि, जो माता पिता तथा अभिभावकों की अनुमति के बिना अल्पवयस्क बालकों को दीक्षा तक नहीं देते और कहां उन पर चोरी का अपवाद ! किन्तु दुष्ट लोग अपने कार्यो मे उचित अनुचित का विचार नहीं किया करते । पूज्य श्री एक बार सायंकाल के समय किसी गांव में प्रवेश करने वाले थे कि गांव से तीन व्यक्ति आते हुए दिखलाई दिये। उन्होंने जो जैन मुनियों को गांव की ओर जाते देखा तो क्रोध में भर कर कहने लगे । .. . . . . .