________________
आत्म शक्ति
३७५ निश्चय ११ अप्रैल को ही कर लिया गया था और इस के लिये अत्यधिक प्रचार किया गया था।
यह समाचार जव ११ अप्रैल को उपाश्रय में पहुंचा तो पूज्य श्री सोहनलाल जी महाराज ने कहा । __ "जलियांवाला बाग की सभा मे भापण सुनने कोई न जावे। वहां अनिष्ट की पूर्ण आशंका है।"
किन्तु जनता पर उत्साह का ऐसा भूत चढ़ा हुआ था कि अमृतसर के जलियान वाला वाग मे १३ अप्रैल १६१६ को बीस सहस्र जनता एकत्रित हो गई। पूज्य सोहनलाल जी महाराज की चेतावनी पर अन्य जैनी तो रुक गए किन्तु उनकी चेतावनी का ध्यान न करके तीन जैन लड़के भी उस सभा मे गए | इनके नाम थे
बाबूराम, खजांची लाल तथा कुन्दन लाल ।
इस बाग के चारों ओर दीवार थी और अन्दर जाने तथा बाहर निकलने के लिये केवल एक ही दरवाजा था। सभा में व्याख्यानों की धूम थी। जेनरल डायर ने सभा मे सौ भारतीय सैनिक तथा पचास गोरे सैनिक लेकर प्रवेश किया। उसने बाग मे घुसते ही सेना को गोली चलाने की आज्ञा दे दी। जेनरल डायरे इस सभा पर तब तक गोलियां चलाता रहा, जब तक उसकी सेना के सब कारतूस समाप्त नहीं हो गए। कुल सोलह सौ फायर किये गए। सरकारी बयान के अनुसार इस गोली कांड से चार सौ मरे तथा एक हजार से लेकर दो सहस्त्र तक चायल हुए, किन्तु गैरसरकारी बयान के अनुसार मरने वालों की संख्या कई सहस्र थी। भारतीय सैनिकों के पीछे गोरे सैनिकों को लगा कर उनसे गोली चलवाई गई। जिस समय गोली चली तो लोगोंने दीवार पर चढ़ने का यत्न किया । कुछ