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आत्म शक्ति
३७६ संभाल'। मैंने उसे कोई हानि नहीं पहुंचाई। मेरी ओर से उसको सदा ही क्षमा है।"
तब वह लोग बोले
"महाराज ! जब आपकी ओर से उसको क्षमा है तो आप वहां कष्ट करके उसे मंगलीक सुना दे, क्योंकि बेहोश होने के कारण वह यहां आने योग्य नहीं है।" __ इस पर मुनि गैडेराय जी ने उनके साथ जाकर उस लड़के को मंगलीक सुनाई। मंगलीक सुनने पर वह होश में आ गया। कुछ दिनों बाद उसकी तबियत पूर्णतयां सुधर गई। .xxxx
एक बार पूज्य श्री गैंडेराय श्री महाराज स्यालकोट के पास दुवरजी नासक गांव के पास एक वृक्ष के नीचे ठहरे हुए थे कि पुलिस का एक थानेदार उनके पास आकर उनको धमकाने लगा। वह उनसे वोला
"क्या ढोंग करके बैठा है। अपनी तलाशी दे।" इस पर आप उससे बोले "भाई हम साधु हैं। हमारी क्या तलाशी लेगा ?"
दरोगा ने उनकी पुस्तकों तथा पात्रों मे ठोकर लगाकर कहा ‘दिखलाओ उनमे क्या है।'
इस पर गैंडेराय ने उससे कहा 'तू हमारी पुस्तकों तथा बर्तनों को पैर लगाता है।' · दरोगा-श्रच्छा तू मुझे नहीं जानता। . आप-हां, तुझे मैं जानता हूँ कि तू सरकार का मुह लगा पुलिस वाला है। ___ इस पर वह क्रोध मे भर कर आपकी ओर झपटा तो आपने कहा