________________
आपके उत्तराधिकारी
४१३ दिया जावे। अस्तु इस उद्देश्य के लिये व्यावर से एक शिष्टमंडल कांफ्रेंस के प्रमुख कार्यकर्ताओं का माननीय कुन्दनमल जी साहिब फिरोदिया जी के नेतृत्व में चला। प्रारम्भ में यह ‘शिष्टमडल पाली में जैन दिवाकर श्री चौथमल जी म राज की
सेवा में उपस्थित हुआ। यहां श्री चिमनलाल चकुभाई के 'सहयोग से 'संघ ऐक्य याजना' तयार की गई। बाद मे इस 'योजना को अनेक मुनिवरों ने स्वीकार कर लिया। कांफ्रेंस के मद्रास अधिवेशन मे 'संघ ऐक्य योजना' को सर्वसम्मति से पास किया गया।
इस समय यह निश्चय किया गया कि दो वर्ष के पश्चात् एक अखिल भारतीय साधु सम्मेलनं फिर किया जावे और इस वीच में विविध प्रान्तों में साधु सम्मेलन तथा साम्प्रदायिक संगठन करके उसके लिये जनमत तयार किया जावे। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये एक लाधु सम्मेलन नियोजक समिति भी बनाई गई, जिसका संयोजक मंत्री श्री धीरजलाल के. तुरखिया को बनाया गया।
. ब्यावर मे राजस्थान की १७ सम्प्रदायों का सम्मेलन किया गया था, किन्तु उसमें : सम्प्रदायों के प्रतिनिधि ही उपस्थित थे। इसमे कांफ्रेस द्वारा प्रकाशित वीर संघ की योजना तथा समाचारी का संशोधन किया गया। उपस्थित : सम्प्रदायों में से ५ सम्प्रदायों ने अपनी अपनी सम्प्रदायों के नाम और पदवियों का त्याग कर 'वीर वर्द्धमान श्रमण संघ' की स्थापना की । इस समय पूज्य श्री आनन्द ऋषि जी महाराज को प्राचार्य चुन कर वृहत् साधु सम्मेलन किये जाने तक 'सघ ऐक्य' का आदर्श उपस्थित किया गया।