Book Title: Sohanlalji Pradhanacharya
Author(s): Chandrashekhar Shastri
Publisher: Sohanlal Jain Granthmala

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Page 469
________________ शुद्धि पत्र पंक्ति अशुद्धि शुद्धि 20. b_ip to to te ro' on : न सन्भबात् धर्मकीर्ति ज्तोति उच्छखल ज्य कानून जनना व्यास जैनधर्मः सद गुरुणां शुद्धशीलं नाल्य पुष्यैः चक्रव्यूह श्वत मध्यान अन्त्तर उस्पन्न व्यक्तिक्रम सेवा धर्मो . प्रशसा न्नसम्भवात् धर्मकीर्ति ज्योति उच्छंखल पूज्य कानोड़ जननी व्यास जैनोधर्मः सद् गुरुणां शुद्धशील नाल्य पुण्यैः चक्रव्यूह श्वेत मध्यान्ह अन्तर उत्पन्न व्यतिक्रम सेवा धर्मः प्रशंसा बग्घी 'MANAME १७-१८ 20 १२ २३ १०१ १११ AMF wrorm or or बग्गी ११४ १२१ बौद्धों प्रात्त इन्द्र बौद्धों प्राप्त १७८ इन्द्र

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