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शुद्धि पत्र
पंक्ति
अशुद्धि
शुद्धि
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न सन्भबात् धर्मकीर्ति ज्तोति उच्छखल ज्य कानून जनना व्यास जैनधर्मः सद गुरुणां शुद्धशीलं नाल्य पुष्यैः चक्रव्यूह श्वत मध्यान अन्त्तर उस्पन्न व्यक्तिक्रम सेवा धर्मो . प्रशसा
न्नसम्भवात् धर्मकीर्ति ज्योति उच्छंखल पूज्य कानोड़ जननी व्यास जैनोधर्मः सद् गुरुणां शुद्धशील नाल्य पुण्यैः चक्रव्यूह श्वेत मध्यान्ह अन्तर उत्पन्न व्यतिक्रम सेवा धर्मः प्रशंसा बग्घी
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१७-१८
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१२
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बग्गी
११४
१२१
बौद्धों प्रात्त इन्द्र
बौद्धों प्राप्त
१७८
इन्द्र