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सन्मार्ग को प्रकाशित कर सके, इसी अन्त.कामना के साथ सम्पादक वर्ग के सहान प्रयास का अभिनन्दन करूगा और इन्हीं दो शब्दों की अर्धस्फुटित कलियों की श्रद्धाञ्जलि अर्पित करने का साहस करूंगा।
(साहित्य शिक्षण संचालकमुनि सुशील शास्त्री, भास्कर, साहित्य रत्न, आचार्य)
प्रेषकः--आचार्य सत्यपाल शर्मा,
बम्बई, विलेपार्ला। चातुर्मास १०-११-५३ ।
_____नोट:-शेष श्रद्धाञ्जलियां पृथक प्रकाशित की जायेंगी।