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प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी न हो सकने वाले मुनिराज किसी अन्य मुनिराज को अपनी सर्व सत्ता तथा अधिकार देकर प्रतिनिधि रूप मे भेज सकेगे।
सादड़ी के इस सम्मेलन में संघ व्यवस्था के कार्य के अतिरिक्त अन्य भी अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये गए । मंवत्मरी पर्व निर्णय, पाक्षिक तिथि निणय आदि के अतिरिक्त दीक्षा, प्रतिक्रमण तथा साधना आदि के नियम भी बनाए गए । श्रमण सघकी समाचारी के सम्बन्ध मे एक विस्तृत प्रस्ताव स्वीकार किया गया । वस्त्रों, पात्रों तथा गोचरी की मर्यादा के सम्बन्ध मे भी प्रस्ताव पास किये गए। साधुओं की दिन चर्या के सम्बन्ध में विस्तृत आदेश दिये गए।
इस प्रकार यह सम्मेलन वैशाख शुक्लाद्वितीया सवत् २००६ तदनुसार तारीख २७ अप्रैल १६५२ को आरम्भ हो कर ग्यारह दिन तक चला और वैशाख शुक्ला त्रयोदशी संवत् २००६ तदनुसार ७ मई १९५२ को समाप्त हुआ।
सम्मेलन के अन्तिम दिन वैशाख शुक्ला त्रयोदशी संवत् २००६ को आचार्य श्री आत्माराम जी महाराज को विधिपूर्वक आचार्य पद की चादर दी गई। इस समय सब मुनि प्रतिज्ञा पत्र भर भर कर तयार थे और उन्होंने प्राचार्य पद की विधानविधि के समाप्त होते ही अपने अपने प्रतिज्ञा पत्र उनके चरणों मे समर्पित कर दिये।
इस सम्मेलन में आचार्य श्री आत्मा राम जी महाराज की सम्प्रदाय के वीस मुनिराज उपस्थित थे, जिन में चार प्रतिनिधि मुनि थे।
इस प्रकार पूज्य श्री मोहनलाल जी महाराज द्वारा प्रारंभ किये संघ ऐक्य के कार्य को अजमेर में प्रारम्भ करके सादड़ी में समाप्त किया गया।