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आपके उत्तराधिकारी
४१५ विभिन्न सम्प्रदायें एक आचार्य के नेतृत्व में और एक समाचारी में 'श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रमण संघ' के रूप में सुसंगठित हो गई।
सादड़ी सम्मेलन में २२ सम्प्रदायों के ३४१ मुनि तथा ७६८ श्राएं उपस्थित थीं। उनमें से कुल ५३ प्रतिनिधि थे। इन प्रतिनिधियों में पूज्य श्री आत्माराम जी महाराज की सम्प्रदाय के निम्नलिखित चार प्रतिनिधि उपस्थित थे
१ युवाचार्य श्री शुक्लचन्द जी महाराज, २ उपाध्याय श्री प्रेमचन्द जी महाराज, ३ व्याख्यान वाचस्पति पंडित मुनि श्री मदनलाल जी
महाराज तथा ४ वक्ता मुनि पंडित श्री विमलचन्द्र जी महाराज ।
प्रतिनिधि मुनिवरों की गोल बैठक श्री लोकाशाह जैन गुरु कुल के केन्द्रीय हाल मे अक्षय तृतीया (वैशाख शुक्ल तृतीया) संवत् २००६ तदनुसार तारीख २७ अप्रैल सन् १९५२ को मध्याह्न ३ बजे से प्रारम्भ हुई। ___ इस सम्मेलन में २८ अप्रैल १६५२ को प्रस्ताव संख्या ६ निम्नलिखित रूप मे सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया ___"वृहत्साधु सम्मेलन सादड़ी के लिए निर्वाचित प्रतिनिधि मुनिराज यह निर्णय करते हैं कि अपनी अपनो सम्प्रदाय और साम्प्रदायिक पदवियों का विलीनीकरण करके 'एक आचार्य के नेतृत्व मे एक संघ' कायम किया जावे ।
प्रस्ताव सख्या ७ के अनुसार ता० २६ को इस संघ का नाम 'श्री वद्धमान स्थानकवासी जैन श्रमण संघ' रखना निश्चित किया गया।