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प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी __ 'अगले वर्ष गुलाबपुरा मे चार बड़ों का स्नेह सम्मेलन किया गया। तीसरे वर्ष लुधियाना में पंजाब प्रांतीय सम्मेलन तथा सुरेन्द्र नगर मे गुजरात प्रांतीय सम्मेलन किया गया। इस समय यह तय किया गया कि वैशाख शुक्ला तृतीया संवत् २००६ को अक्षय तृतीया के दिन मारवाड़ के सादड़ी नामक स्थान मे वृहत् साधु सम्मेलन किया जाये। समय कम था, विहार लम्बा था, गर्मी का मौसिम था, किन्तु कष्टसहिष्णु मुनिवर अपने स्वास्थ्य की चिन्ता किये बिना सैकड़ो मील की पैदल यात्रा करके यथा समय सादड़ी पधार गए। भिन्न भिन्न सम्प्रदायों के संत ज्यों ज्यों किशनगढ़, अजमेर तथा ब्यावर आदि स्थानों में मिलते गए, बड़े प्रेम तथा उदारता से सहृदयता प्रकट करते थे। सम्मेलन का कार्य बड़ी शांति, सभ्यता और विवेक के वातावरण से प्रारम्भ हुआ। कांफ्रेंस के प्रमुख के नाते श्री फिरोदिया जी को तथा मंत्री के नाते श्री धीरजलाल के० तुरखिया जी को सम्मेलन की सब कार्यवाही में बैठने का अधिकार था।
साधु सम्मेलन मे पंडित मुनि श्री मदनलाल जी महाराज को शान्तिरक्षक बनाया गया। उनका सहायक पूज्य श्री गणेशीलाल जी महाराज को बनाया गया। कवि अमरचन्द जी महाराज, पंडित श्रीयल जी महाराज, वक्ता पंडित सौभाग्यमल जी महाराज तथा मरुधर मत्री श्री मिश्रीलाल जी महाराज ने विवादग्रस्त प्रश्नों को हल करने मे अद्भत कार्य किया। सम्मेलन मे प्रतिनिधियों के अतिरिक्त दर्शक सन्त तथा सतियों के बैठने की भी व्यवस्था की गई थी। ___ सादड़ी का यह सम्मेलन वैशाख शुक्ला तृतीया से आरम्भ हो कर त्रयोदशी तक ११ दिन चला। इसके परिणामस्वरूप