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उपसंहार आपके उत्तराधिकारी
पवाएण पवायं जाणिज्ज, आचारांग सूत्र, प्रथम श्रुतस्कन्ध, अध्ययन ५, उदेशक ६
गुरुपरम्परा से सर्वज्ञोपदेश को जानना चाहिये । . पूज्य श्री सोहनलाल जी महाराज के स्वर्गवास के पश्चात फाल्गुण सुदि द्वितीया संवन १६६२ को होशियारपुर मे पाट महोत्सव का बड़ा भारी उत्सव मना कर युवाचार्य श्री काशीसम जी महाराज को आचार्य पद दिया गया।
श्राप पसरूर के निवासी थे। आपके पिता गोविन्दशाह लाला गडामल के छोटे भाई थे। अतएव लाला गंडामल काशीरामजी के ताउ थे। इस प्रकार आप पूज्य सोहनलालजी महाराज के गृहस्थ जीवन के ममेरे भाई थे। लाला गडामल के पुत्र राय साहिब उत्तमचन्द काशीरामजी के तएरे भाई थे। ___काशीराम जी को दीक्षा देकर पूज्य श्री सोहनलाल जी महाराज ने उनको पाच वर्ष के अल्प समय में ही सब शास्त्र पढ़ा दिये। वैसे प्रत्येक सूत्र ग्रन्थ के पढ़ाए जाने का समय नियत है, किन्तु आचार्य को अपने विद्यार्थी की तीन बुद्धि पर दृष्टि रखते हुए उसमे व्यतिक्रम करने का अधिकार है । वज्रस्वामी के विषय मे भी इस अधिकार से काम लेकर उनको अल्प समय में ही आगमों का अध्ययन करा दिया गया था।