Book Title: Sohanlalji Pradhanacharya
Author(s): Chandrashekhar Shastri
Publisher: Sohanlal Jain Granthmala

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Page 449
________________ ४०६ . आपके उत्तराधिकारी अधिक दिन ठहराने को भी आपने अनेक स्थानों पर बन्द कराया । इस प्रकार सत्य धर्मोपदेष्टा होने के अतिरिक्त आप एक बड़े भारी समाजसुधारक भी थे। - पूज्य श्री सोहन लाल जी महाराज का स्वर्गवास होने के अनन्तर होशियारपुर से एक बड़ा भारी सम्मेलन फाल्गुण शुक्ला द्वितीया संवत १९६२ को सन १९३५ में ही किया गया। इसमें पंजाव भर के बड़े • तपस्वी मुनि अपनी अपनी शिष्य मण्डली सहित पधारे। इस सम्मेलन में पंजाब भर की आर्याए भी आई । श्रावक और श्राविकाएं तो इस उत्सव मे पञ्जाव से वाहिर की भी कम नहीं आई । इस महोत्सव में युवाचार्य श्री काशी राम जी महाराज को पूज्य श्री मोहन लाल जी महाराज के पाट पर विठला कर संघ का प्राचार्य बनाकर उन्हें आचार्य पद की चादर दी गई। इस प्रकार यह उत्सव • आपका पाट महोत्सव था। इस उत्सव मे शतावधानी मुनि रत्नचन्द जी महाराज तथा उपाध्याय आत्माराम जी महाराज भी थे। अापके पाटमहोत्सव पर इन सभी ने आप का अभिनन्दन किया। होशियार पुर के इस उत्सव में ही शतावधानी जी तथा पूज्य काशी राम जी महाराज के प्रयत्न से यह निश्चय किया गया कि काशी के हिन्दू विश्व विद्यालय की भूमि में जैन धर्म के प्रचार के लिये एक या पार्श्व नाथ विद्याश्रम खोला जाव । वास्तव में इस विद्यालय की स्थापना के लिय स्वर्गीय पूज्य । सोहनलाल जी महाराज जी की भी बड़ी मारी इच्छा थी। इस अवसर पर इस विद्यालय की स्थापना करके उनकी एक कमेटी ।

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