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प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी भी बनाई गई, जिसका नाम 'सोहन लाल समिति' रखा गया । लाला त्रिभुवननाथ कपूरथले वालों को उसका प्रधान तथा वावू हरजस राय बी० ए० अमृतसर वालों को उसका मन्त्री बनाया गयो । लाला मुनिलाल जी को इस कसैटी का कोपाध्यक्ष बनाया गया। विद्यालय के कार्य तथा उसकी वार्षिक रिपोर्टो को देखने से पता चलता है कि आज कल इस विद्यालय का काम खूब अच्छी तरह चल रहा है।
होशियार पुर के इस पाट : महोत्सव के अवसर पर अनेकी साधुओं को गणावच्छेदक, प्रवर्तक आदि की पदवियां भी द गई । पूज्य श्री काशीराम जी महाराज ने इसके पश्चात निम्नलिखित स्थानों पर चातुर्मास किये।
संवत् १९६३-अम्बाला संवत् १९६४-दिल्ली संवत् १६६५–उदयपुर संवत् १६६६- अहमद नगर संवत् १६६७-बम्बई संवत् १६६८–राजकोट संवत् १६६६-जोधपुर संवत् २०००-जयपुर
संवन् २००१--दिल्ली इस से पता चलता है कि आपने बम्बई से आगे अहमद नगर तक का विहार करके सभी स्थानों मे धर्म प्रचार किया था। शतावधानी मुनि रत्नचन्द जी महाराज का आप से इतना अधिक घनिष्ट प्रेम हो गया था कि यह तब से लेकर अपना स्वर्गवास होने तक आपके साथ ही विहार करते रहे। जिस समय पूज्य काशीराम जी महाराज का संवत् १६६७ में बम्बई मे