________________
३७०
प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी । ___ "अच्छा भाई ! हम तो तुम्हारा कोई अपराध नहीं मानते, किन्तु यदि तुमको इसी प्रकार शांति प्राप्त हो सकती है तो हम तुम्हारे अपराध को क्षमा करते है।"
पूज्य महाराज के यह शब्द सुन कर वह दोनों बहुत प्रसन्न होते हुए अपने अपने घर चले गए।
सहात्मा गाधी ने जब सन् १६१६ मे रौलट ऐक्ट के विरोध में देशव्यापी सत्याग्रह आन्दोलन करने की घोपणा की तो दंश मे उमकी व्यापक प्रतिक्रिया हुई। ६ अप्रैल १६१६ को देश भर मे हड़ताल होने के कारण अमृतलर में भी भारी हड़ताल हुई। उन दिनो पंजाब के राष्ट्रीय नेता डाक्टर सत्यपाल तथा डाक्टर किचलू माने जाते थे और वह दोनों ही अमृतसर में रहते थे।
अमृतसर के जिला मजिस्ट्रेट न १० अप्रैल १०१६ को उन दोनों को अपनी कोठी पर बुलाकर चुपचाप किसी अज्ञात स्थान को भेज दिया। इस पर जनता बड़ी भारी भीड़ मे जिला मेजिस्ट्रेट से उनका पता पूछन उसकी कोठी की योर चली। किन्तु मार्ग मे सेना ने उस भीड़ को रोककर उस पर गोली चला दी। इस पर भीड़ भी हिंसा पर उतारू हो गई। उसने क्रोध मे आकर नेशनल बैंक को इमारत में आग लगा कर उसके यूरोपियन मैनेजर को मार डाला। भीड़ ने पांच अंग्रेज स्त्री पुरुषों को मारा और वैक, रेलवे गोदाम तथा अन्य सार्वजनिक इमारतों में आग लगा दी। अधिकारियों ने इन घटनाओं पर आग बबूला होकर सारा नगर सेना को सौंप दिया और व्यवहारिक रूप मे सैनिक कानून ( मार्शल ला) लगा दिया । आग लगाने मे कुछ साधुओ का हाथ होने की अफवाह भी