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प्रधानाचार्य
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प्रस्ताव ३. सब आचार्यों के ऊपर एक प्रधानाचार्य होना चाहिये।
इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास कर, उसे वृहत सम्मेलन में उपस्थित करने का निश्चय किया गया।
प्रस्ताव ४. प्रत्येक गच्छ में एक आचार्य होना चाहिये और सब आचार्यो के ऊपर एक प्रधानाचार्य होना चाहिये। उसके नीचे मुनियों की एक कौंसिल होनी चाहिये।
युवाचार्य काशीराम जी महाराज के इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास करके वृहत्सम्मेलन में उपस्थित करने का निश्चय किया गया।
इसके अतिरिक्त मुनियों, आर्याओं तथा श्रावकों के संगठन तथा व्रतपालन आदि के सम्बन्ध में भी अनेक प्रस्ताव पास किये गए । होशियारपुर सम्मेलन का लाभ उठाकर पंजाब के मुनि घ को पूर्णतया सुसंगठित तथा नियमबद्ध बना लिया गया । वर्तमान आचार्य के वार्षिक पाट महोत्सव को भी मनाने का निश्चय किया गया। यह भी निश्चय किया गया कि अजमेर सम्मेलन में पत्री का प्रश्न उपस्थित हो तो पंजाब के मुनि उसका विरोध न करें। आपस के संघर्ष को वहां न छेड़ा जावे। इस बात को सब मुनियों ने मान लिया और कहा कि हम पत्री का विरोध नही करेंगे। उन्होंने यह भी निर्णय किया कि मुनि सम्मेलन का बहुमत से किया हुआ प्रत्येक निर्णय उनको मान्य होगा।
इस सम्मेलन में अजमेर में होने वाले अखिल भारतीय मुनि सम्मेलन मे जाने के लिये पांच प्रतिनिधियों का निर्वाचन' भी किया गया।