________________
३६०
प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी
दक्षिण के मत्री-पंडित मुनि श्री आनन्दऋषि जी महाराज, मेवाड़ के मंत्री-मुनि श्री हस्तीमल जी महाराज ।।
इस समिति के कार्य के लिये विस्तृत नियम भी बनाए गए।
इसके अतिरिक्त एक ज्ञान प्रचारक मण्डल की स्थापना भी पृथक पृथक क्षेत्रों के लिये की गई। इसके नियम भी विस्तार पूर्वक बनाए गए।
अजमेर के इस अखिल भारतीय साधु सम्मेलन को वयोवृद्ध पूज्य आचार्य श्री सोहनलाल जी महाराज ने निम्न लिखित संदेश भेजा
"जिन शासन हितैषी उपस्थित गच्छाधिपति तथा अन्य प्रतिनिधि मुनिवरों की ओर
वन्दे जिनवरम्
'लगभग दो वर्ष पूर्व अखिल भारतवर्षीय श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन कांस का डेपूटेशन मेरे पास टीप के सम्बन्ध मे अमृतसर आया था। उस समय मुझे अपनी चिरकालीन मनोकामना उसके सन्मुख प्रकट करने का अवसर मिला । चार तीर्थ के कल्याण का साधन शासनाधार मुनिराजों का जो काल और दूरी के कारणों से शताब्दियों से भिन्न भिन्न विचार रख रहे हैं उनका एक स्थान पर एकत्रित होकर आपस मे वार्तालाप करना और संघटित करने का मार्ग नियत करना ही मेरी मनोकामना थी। मुझे यह अनुभव करके अतिशय आनन्द हो रहा है कि शासन हितैषी और चतुर्तीर्थ प्रेमियों के अथक परिश्रम से वह शुभ दिन आ ही पहुंचा। अपनी वृद्धावस्था तथा शारीरिक निर्वलता के कारण मैं स्वयं इस सम्मेलन में सम्मिलित हो कर आपको विचार चर्चा में सहयोग ।