________________
३४४
प्रधानाचार्य श्री मोहनलाल जी
इस कमेटी के विचारों का सारांश यह था
१-हमारी सम्मति मे श्री पूज्य माहिब का वीर निर्वाण सम्वत् को प्रचलित वीर निर्वाण सम्वत से १३ वर्ष अधिक लगाना अयुक्त नहीं है।।
हमारी सम्मति मे युग के १८३१ दिन जो कि श्री पूज्य महाराज ने अपनी पत्रिका मे लगाए हैं, जैन शास्त्रानुसार हैं
और प्रत्वक्ष के विरुद्ध नहीं है । परन्तु हम श्री पूज्य महाराज से विनय करते हैं कि वह अगली बार छपने पर इस अधिक दिन के तिथि, घड़ी, पल, नक्षत्र करण आदि भी उसमे लगा दे।
३-हमारी सम्मति में आरे की गणना युगसंवत्सर की दृष्टि से जो श्री पूज्य महाराज ने की है वह ठीक है।
४ हमारी सम्मति में जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति के वोल युग की अादि के ही नव बोल हैं।
५-हमारी सम्मति मे श्री पूज्य जी का लौकिक आषाढ़ को जैन श्रावण मानना ठीक है औः प्रत्यन के सर्वथा अनुकूल है।
६- हमारी सम्मति से श्री पूज्य सोहनलाल जी की पत्री के कुल, उपकुल, कुलापकुल और सन्निपात नक्षत्र शास्त्रों के अनुसार है।
७-हमारे विचार मे जैन तिथिपत्रिका प्रत्यक्ष से मिलती है ।
८-हमारा विचार है कि जैन शास्त्रानुसार जैन तिथि पत्रिका पर आचरण करने से संवत्सरी पर्व आदि घूमते हुए नहीं आयेगे। ___E- हमारी सम्सति मे श्री पूज्य साहिब का सर्वदा चार मास का चातुर्मास करना जैन सिद्धान्त के अनुसार है।