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प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी इसके अतिरिक्त यह भी तय किया गया कि कांख की अगली बैठक अप्रैल १६३० मे हो, जिसमे उक्त उपसमिति द्वारा बनाई हुई योजना पर विचार किया जावे। उपसमिति का संयोजक आगरा के सेठ अचलसिंह को बनाया गया।
सेठ अचलसिंह ने कांग्रस के इस निरच्य के सम्बन्ध में जैन पत्रा मे विज्ञप्ति भी प्रकाशित करा दी, जिससे सारे समाज मे उत्साह की एक लहर दौड़ गई। ___अव तो भारत के सभी प्रान्तों में प्रान्तीय सम्मलन करके इस विषय मे प्रयत्न किया जाने लगा। गर्व प्रथम गजकोट प्रांतीय साधु सम्मेलन तथा पाली माड़वाड़ मुनि सम्मेलन करने का निर्णय किया गया। इसी बीच मे माघ सुदी १३ संवत् १९८८ तदनुसार २० फर्वरी १६३२ को साधु सम्मेलन समिति सभा ने जयपुर की अपनी बैठक में निश्चय किया कि अखिल भारतीय मुनि सम्मेलन के लिये अजमेर के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया जावे, क्योंकि अजमेर भारत के मध्य भाग में है, जहां भारत के सभी भागों के जैन मुनि विहार करके पहुँच सकते हैं। - सम्मेलन का स्थान निश्चित हो जाने से अब भारत के सभी प्रान्तों के इस सम्बन्ध में प्रयत्न तेज हो गए। अब जनता मे इस सम्बन्ध में उत्साहपूर्वक प्रचार किया जाने लगा।
अखिल भारतीय मुनि सम्मेलन करने का प्रश्न जब गणी उदयचन्द जी के सामने आया तो वह बहुत प्रसन्न हुए। किन्तु उन्होंने अपने मन में विचार किया कि ___ "जब तक प्रथम पंजाब प्रांत के मुनियों का एक सम्मेलन नहीं हो जाता, तव तक अखिल भारतीय मुनि सम्मेलन सफल नहीं हो सकेगा। यदि प्रत्येक प्रान्त के असगठित एवं