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प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी
अपनी रिपोर्ट नहीं दी, अतएव निर्णय कमेटी के समस्त मुनिराजों तथा आर्यिकाओं की सेवा मे यह प्रार्थना है कि वह २८ ' तथा २६ मार्च १९२५ से पूर्व अपनी आयोजना पूर्ण कर ले। यदि तदनन्तर पंजाब जैन सभा की आन्तरिक सभा यह निर्णय करती है और यदि निर्णय कमेटी की सम्मति हो तो एक छोटी सी सहायक उपसमिति नियत कर दी नावे, जिसमे गिम्नलिखित चार सदस्य हों। यह उपसमिति पत्री सम्बन्धी प्रश्न पर सर्व सम्भव साधनों से जितना ज्ञान प्राप्त कर सके एकत्रित करके अपनी रिपोर्ट निर्णय कमेटी के सन्मुख उपस्थित करे। निर्णय कमैटी मे उपस्थित होकर उस रिपोर्ट पर विचार किया जाये।
और निर्णय कमैटी पूर्ण आयोजना तारीख २१ अप्रैल १६२४ के प्रस्ताव के अनुसार संग्रहीत करे। उपसमिति के लिये निम्नलिखित चार महानुभाव सदस्य बनाए गए
१-लाला मुल्खराज जी वी० ए० गुजरांवाला, २-लाला मोतीराम नाहर होशियारपुर, ३- बाबू हरजसराय बी० ए० अमृतसर तथा ४-लाला जगन्नाथ नाहर पट्टी।" ।
अब श्वेताम्बर स्थानकवासी पंजाव जैन सभा जंडियाला गुर की ओर से इस प्रस्ताव को कार्यरूप में परिणत करने के लिये उपरोक्त चारों सदस्यों के नाम अधिकारपत्र जारी करते हुए उनसे अपना कार्य शीघ्र ही आरम्भ करने की प्रेरणा की गई।
इस उपसमिति की नियुक्ति पर बाद मे निर्णय कमेटी के प्रधान राय बहादुर दीवान विशनदास साहिब तथा जनरल सेक्रेटरी राय साहिब लाला टेकचन्द जी की व्यक्तिगत रूप में भी स्वीकृति ले ली गई।