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प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी उदयचंद वहीं पहुंच जाते और सच्चे जैन धर्म का जय घोष जनता के हृदय में गुजा देते । आपके उपदेश के कारण खुशालचंद नामक एक संवेगी संबेगयत को त्याग कर गणा विछेदक श्री गणपतिराय जी के पास रायकोट पहुँचा। अन्य भी अनेक व्यक्तियों ने इस समय संबेगी मत को छोड़ा।