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प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी जब वह स्वय ही इन सब को बनाता है तो उनको उनके । बुरे कास का दंड देने का उसको क्या अधिकार है ? इस प्रकार तो वह उनके साथ धोखेबाजी करता है। ___ कसाई-लोगो के किये हुये अामालों का तो नतीजा दिया ही जावेगा।
युवाचार्य जी-जब उनकी नर्जी के बिना एक पत्ता तक नहीं हिलता तो उन बुरे आदमियों के सारे कार्यों का प्रारक
आपका खुदा ही सिद्ध होता है। फिर वह उन के द्वारा किये हुए बुरे कामों के उत्तरदायित्व से किस प्रकार वच सकता है ?
युवाचार्य महाराज के इस कथन से कसाई एक दम निरुत्तर हो गया और वह वहां से अलजलूल बकते हुए मुह छिपाकर भाग निकला।
मौलवी अताउल्ला ने इस सारे वार्तालाप के समाचार को भी उर्दू अखबारों में निकलवा दिया।
प्राचार्य मोतीराम जी महाराज का स्वर्गवास इधर युवाचार्य श्री सोहनलाल जी का चातुर्मास मालेर कोटला मे था, उधर परम शान्त मुद्रा के धारक पूज्य आचार्य श्री मोतीराम जी महाराज तथा गणावच्छेदक श्री गणपतिरायजी महाराज इत्यादि साधुओं का चातुर्मास लुधियाना मे था । चातुर्मास के बीच मे ही श्री पूज्य मोतीराम जी महाराज को ज्वर आने लगा । उनका शरीर तो अत्यधिक वृद्ध था ही, अतएव ज्वर भयंकर प्रमाणित हुआ। उधर उनकी आयु भी समाप्त हो चुकी थी। अतएव अश्विन कृष्ण द्वादशी संवत् १६५८ को लुधियाना में ही उनका स्वर्गवास हो गया ।