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प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी लिए शिव पुराण मे लिखे है, वह सब वही हैं, जो आज कल रथानकवासी साधु रखते हैं। वास्तव में अपने प्राचीन चिहों का रखना ही उचित है।"
इस घोषणा-पत्र के प्रकाशित होते ही मुनि उदयचन्द के जयकारों से आकाश गृज उठा। पंजाब के सत्र क्षेत्रों को इस विजय का समाचार तार द्वारा भेज दिया गया। इन विषय मे 'शास्त्रार्थ नामा' नामक एक पुस्तक 'जैन धर्म प्रचार' नामत्री भएडार, सदर बाजार, दिल्ली से प्रकाशित हो चुकी है। विशेष जिज्ञासा रखने वाले सज्जन उक्त ग्रन्थ का अध्ययन करें।