________________
२६३
आचार्य पद
श्री पूज्य महाराज के स्वर्गवास के समाचार से समस्त जैन संघ में शोक छा गया । लुधियाना के श्री संघ ने अत्यंत समारोह पूर्वक उनकी अन्त्येष्टि क्रिया की।
उधर पटियाला का श्री संघ अपने यहां बिहार की विनती लेकर युवाचार्य श्री सोहनलाल जी महाराज के पास मालेरकोटला पहुंचा। आपने उनके आग्रह को देखते हुए उनकी बिनती को स्वीकार कर लिया और चातुर्मास समाप्त होने पर मालेरकोटला से विहार करके नाभा होते हुए पटियाला जा पधारे।
आचार्य पद का महोत्स अब यह सबको दिखलाई दे गया कि युवाचार्य श्री सोहनलाल जी महाराज ही पूज्य मोतीराम जी के पाट पर बैठेंगे। उनको यह भी दिखलाई दे गया कि उनके आचार्य पद पर बिठलाने का महोत्सव पटियाला में ही. मनाया जावेगा। अस्तु देश के सब भागों से मुनि, आर्यिका, श्रावक तथा श्राविकाएं पटियाला में आ आ कर एकत्रित होने लगे । इस प्रकार पटियाला में गणावच्छेदक श्री गणपतराय जी महाराज तथा मुनि श्री लाल चन्द जी महाराज आदि २६ साधु एकत्रित हुए । इस महोत्सव के लिये मार्गशीर्ष शुक्ल पञ्चमी संवत् १६५८ वृहस्पतिवार का दिन नियत किया गया। .
एक बहुत बड़े सामियाने मे आचार्य पद महोत्सव का कार्य आरंभ किया गया। उसमें श्री संघ ने सम्मति करके अम्बाला निवासी लाला छज्जूमल जल्लामल, लाला शिशुराम पटियाला । निवासी तथा अमृतसर निवासी श्रावकों की सम्मति से श्री पूज्य । मोतीराम जी महाराज की आज्ञा का अनुसरण करते हुए
अत्यन्त समारोह के साथ विधिपूर्वक श्री स्वामी सोहनलाल जी