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आचार्य पद
काशीराम जी के अतिरिक्त दूसरी दीक्षा श्री नरपतराय जी दूगड़ ओसवाल को दी गई। वह जनुका के रहने वाले थे और वहां से आकर पसरूर रहने लगे थे। यह लाला अमीचन्द जी शाह के पुत्र तथा नन्द शाह के भतीजे थे। यह बड़े भारी समृद्धिशाली कुल के थे।
इन दो के अतिरिक्त एक बैरागिन श्रीमती मथुरादेवी को भी दीक्षा दी गई। यह महिला भी अत्यन्त धनी कुल की थी। उसने कुमारी अवस्था में ही दीक्षा ले ली थी।
श्री पूज्य महाराज कांधला से चातुर्मास के बाद ऐलम चले गए थे। फिर आप दीक्षाएं देने के लिये मार्गशीर्ष वदी सप्तमी को कांधला दुबारा पधारे थे। कांधला के दीक्षा महोत्सव के बाद आपने दिल्ली आकर ज्ञानचंद को दीक्षा दी।
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