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युवराज पद
२७५ ४-मार्ग में पड़े हुए बालक को भले ही वह गाड़ी अथवा मोटर के नीचे दब कर मरने वाला हो-बचाने वाला एकान्त पापी है।
५-यदि कसाई किसी गाय या बकरी को काट रहा हो तो उसको बचाने वाला एकान्त पापी है।
६-यदि किसी के पैर के नीचे कोई जीव असावधानी से आगया तो बता कर सावधान करने वाला एकान्त पापी है। . ७-तेरा पंथी साधु के अतिरिक्त किसी अन्य साधु कुपात्र को आहार पाणी देना एकान्त पाप है।
८-तेरा पंथी साधु के अतिरिक्त किसी अन्य को दान देना, मांस खाना, मदिरा पीना तथा वेश्या गमन करना इन सब में समान पाप है।
-पुत्र अपने माता-पिता की तथा स्त्री अपने पति की सेवा करे तो इसमें एकान्त पाप है।
१०-यदि किसी के घर में आग लग जावे तो उसमें से जलते हुए स्त्री बच्चों आदि को बचाना एकान्त पाप है।
मुनि माणिकचन्द-श्रापके पास इस बात का क्या प्रमाण है कि तेरा पंथी इन बातों को मानते हैं।
मुनि सोहनलाल-इस विषय में आपके प्रथम प्राचार्य भीखम जी ने निम्न लिखित अनुकरण ढाल लिखी है।
"कोई लाय सूबतलाने काढ़ बचायो बले कूए पड़ताने बचायो बले तालाब में डूबत्ता ने बाहर कादे