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मुसलमान को सम्यक्त्व धारण कराना
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युवाचार्य जी-तुम श्रावक के बारह व्रत ले सकते हो !
अताउल्ला-मैं श्री महाराज के चरणों की साक्षीपूर्वक यह प्रतिज्ञा करता हूं कि मैं सर्वज्ञदेव अर्हन्त तथा सिद्ध के अतिरिक्त अन्य किसी को देव न मानू'गा। जैन धर्म के अतिरिक्त किसी अन्य धर्म को धर्म न मानूगा और भगवान महावीर की वाणी के अलावा किसी अन्य शास्त्र को न मानता हुआ श्रावक के बारह व्रतों का सदा पालन करूंगा।
मौलवी अताउल्ला के यह शब्द कहते ही सारी उपस्थित जनता एक साथ जोर से बोल उठी
"भगवान महावीर स्वामी की जय।" "पूज्य श्री प्राचार्य मोतीराम जी की जय ।" "युवाचार्य श्री सोहनलाल जी की जय।"
इसके पश्चात् मौलवी अताउल्ला ने युवाचार्य मुनि श्री सोहनलाल जी के साथ अपनी इस भेंट के विषय में कई उर्दू समाचार पत्रों में लेख लिखे।
युवाचार्य जी के लुधियाना निवास के अवसर पर ही जमीवराय तथा पुरुषोत्तम विजय नामक दो संबेगी साधु भी युवाचार्य महाराज के पास आए। उन्होंने प्रश्नोत्तर के उपरांत संबेगी सिद्धान्त का परित्याग कर युवाचार्य महाराज के चरणों में नये सिरे से श्वेताम्बर स्थानकवासी सिद्धान्त के अनुसार दीक्षा ली।
इस प्रकार युवाचार्य महाराज ने लुधियाना के अपने चातुर्मास में धर्म का अत्यधिक प्रचार किया। .