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पवित्र हास्य यदि तुम उसका लाभ करोगे तो तुमको सच्चे अन्तःकरण से उसका शुभ आशीर्वाद सुनने को मिलेगा। यदि तुम्हारे मन में किसान को आश्चर्य में डालने की बहुत इच्छा हो तो लो मैं तुमको यह पांच रुपये देता हूं। तुम उनको लेकर किसान के जूतों के अन्दरूनी अंतिम भाग में इस प्रकार रख दो कि एक में दो रुपये तथा दूसरे जूते में तीन रुपये रखे जावें। फिर छिप कर देखो कि क्या तमाशा होता है।"
मित्र की यह बात सुन कर धारी खुशी से उछल पड़ा और कहने लगा
"भाई, तुम्हारी यह बात बिल्कुल ठीक है। अच्छा यही करके देखें।" __ यह कह कर धारी ने सोहनलाल के हाथ से वह पांच रुपये लेकर जूते में इस प्रकार रखे कि एक में दो तथा दूसरे जूते में तीन रुपये श्रा गए। इस के पश्चात् दोनों मित्र कृषक की हैरानी देखने के लिए पास की झाड़ियों में छिप गए।
धीरे धीरे दोपहर ढला और कृषक को भूख सताने लगी। वह खेत से लौट कर कुएं पर आया और खाली पेट ही जल पीकर घर जाने की तय्यारी करने लगा। उसने उस फटे हुए कंबल को कंधे पर डाल लिया और जूता पहिनने के लिये जूते में पैर डाला। किन्तु जूते में पैर डालने पर उसे किसी कठोर वस्तु का स्पर्श हुआ। उसने उसे कोई ठीकरी समझ कर पैर के अंगूठे से जूते को पकड़ कर झाड़ा तो कंकर के स्थान पर उस में से छनछनाते हुए दो रुपये निकल कर पृथ्वी पर गिर पड़े। इस से उसे बड़ा भारी आश्चर्य हुआ। उसका शरीर हर्ष से । पुलकित हो उठा। उसने शीघ्रतापूर्वक उन रुपयों को उठा कर मस्तक से लगाया तथा हर्षपूरित नेत्रों से दूसरे जूते में पैर