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प्रतिवादीभयंकर मुनि सोहनलाल जी
आदि प्राचीन ग्रन्थों में यह विधान है कि कुमारी कन्या अपने विवाह के एक दिन पूर्व किसी देवता का पूजन करने जाया करती थी। रुक्मिणी के सम्बन्ध में यह वर्णन आता है कि वह कामदेव का पूजन करने गई कि कृष्ण ने वहीं से उसका हरण किया। रामायण में कहा गया है कि सीता जी पार्वती का पूजन करने गई थीं कि वहां उनकी भेंट धनुष तोड़ने से पूर्व फूलों के लिए आये हुए राम लक्ष्मण से हुई। ____ यह स्पष्ट है कि राजा द्रपद जैनी नहीं थे। अतएव द्रोपदी ने जिस 'जिन प्रतिमा' का पूजन किया, या तो वह कामदेव की अथवा स्वयं अर्जुन की थी, क्योंकि जैसा कि ऊपर मेदिनी कोष का प्रमाण दिया गया है, जिन शब्द का अर्थ अर्जुन भी है।
ज्ञाता धर्म कथांग में आपके कहने के अनुसार द्रोपदी ने 'जिन प्रतिमा का पूजन करते समय ‘णमोत्थुणं' पाठ पढ़ा है। सो यह बात भी प्रामाणिक नहीं है। क्योंकि ज्ञाता धर्म कथांग की प्राचीन प्रतियों में इस अवसर पर 'णमोत्थुणं' पाठ नहीं मिलता। ज्ञाता धर्म कथांग की ऐसी एक प्राचीन प्रति पूना के भंडारकर इंस्टीट्य ट के पुस्तकालय में है तथा दूसरी प्रति दिल्ली के श्रावक मोहनलाल जी के पास भी है। इन दोनों प्रतियों में से किसी में भी इस अवसर पर णमोत्थुणं पाठ नहीं है। अतएव ज्ञाता धर्म कथांग में इस अवसर पर दिया हुआ 'णमोत्थुणं' पाठ निश्चय से क्षेपक है।
प्रश्न २-'न्हाएकयवत्नीकम्मा' शब्द का अर्थ क्या है ? यदि इसका अर्थ घर का देव मानोगे तो भूत आदि सिद्ध होंगे। क्योंकि तीर्थंकर देव किसी के भी घर के देव न हो कर अणगार और देवाधिदेव हैं, अथवा यदि उनका, अर्थ भूत आदि मानोगे