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प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी म्युनिस्पिल कमेटी में मंजूरी के लिये भेजता है तो वह न तो उस रसोई घर में भोजन बनवा सकता है और न उसके स्नान घर में स्नान कर सकता है।
इसके अतिरिक्त सिनेमा में युद्ध, मार-पीट, नदी नालों तथा भोजन आदि के जो असंख्य दृश्य दिखलाये जाते हैं सो उन नदी नालों में न तो कोई स्नान कर सकता है और न उन दावतों मे सम्मिलित होकर कोई भोजन कर सकता है।
यह सब तदाकार स्थापना है । श्राज महात्मा गांधी आदि राष्ट्रीय नेताओं की मूर्तियों को संगमरमर, पत्थर, चांदी आदि की बनवा कर स्थान स्थान पर रखवाने की प्रथा चल पड़ी है, किन्तु उनको केवल उनकी मूर्ति ही माना जा सकता है उनको वास्तविक महात्मा गांधी या नेहरू जी आदि मान कर उनके साथ महात्मा गांधी अथवा नेहरू जी जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता। ___ इसी प्रकार अपने जैन तीर्थंकरों की मूर्ति को चित्र कला अथवा मूर्तिकला की दृष्टि से समझा जा सकता है, किन्तु ऐसी स्थिति में उनको केवल मूर्ति ही मानना चाहिये उस मूर्ति को भगवान् नहीं माना जा सकता। ___ स्कूल के विद्यार्थियों को भूगोल की शिक्षा देते समय नकशे द्वारा सभी प्रकार के पर्वतों तथा नदियों का ज्ञान प्राप्त कराया जाता है। किन्तु उस नकशे में सुमेरु पर्वत का स्थान ही बतलाया जा सकता है, सुमेरु पर्वत का भाव उसमें किसी प्रकार भी नहीं आ सकता।
__इस विषय में एक ठेकेदार का उदाहरण स्मरण रखने योग्य _ है। एकं ठेकेदार एक बड़ा भारी मकान बनवा रहा था, जिसमें