________________
२५२
प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी मुनि श्री सोहनलाल जी ने इस अवसर पर राजस्थान में अच्छा प्रचार किया।
इसके पश्चात् संवत् १९४७ के पूज्य सोहनलाल जी के मालेरकोटला के चातुर्मास में भी आत्माराम जी का चातुर्मास मालेरकोटला में ही था। फिर संवत् १६४८ में भी वह अमृतसर में पूज्य सोहनलाल जी के साथ तथा आत्माराम जी एक ही नगर में थे। किन्तु आत्माराम जी वारवार बुलाये जाने पर भी शास्त्रार्थ करने से बचते ही रहे।