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प्रतिवादीभयंकर मुनि सोहनलाल जी
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____स्वर्ग में तोरण आदि प्रत्येक वस्तु की पूजा की जाती है। उनके अपने पिछले देवों की मूर्तियां भी वहां रहती हैं। प्राचीन भारत में भी इस प्रकार की मूर्तियां कला के आदर अथवा इतिहास की दृष्टि से रक्खी जाती थीं। भाख कवि के प्रतिमा नाटक में अयोध्या के बाहिर एक ऐसे प्रतिमा मन्दिर का वर्णन किया गया है, जिसमें दशरथ से पूर्व के सभी रघुबंशी राजाओं की मूर्तियां थीं। जब राम के बन गमन के बाद भरत अपनी ननसाल से अयोध्या वापिस आए तो उनको उस प्रतिमा मंदिर में दशरथ की मूर्ति को देख कर यह पता चला था कि उनके पिता का स्वर्गवास हो चुका है। ___ स्वर्ग की मूर्तियों का वर्णन नख शिख से किया जाता है। जब कि तीर्थंकर भगवान् का वर्णन शिख नख से किया जाता है। इसके अतिरिक्त सूर्याभ देवता के वर्णन में मूर्ति के नेत्रों में 'लालिमा का वर्णन है, जो केवल भोगी पुरुषों के नेत्रों में ही सम्भव है। त्यागियों के नेत्रों में लालिमा नहीं हो सकती।
सूर्याभ देवता की जिन प्रतिमा के स्तन भी हैं, जब कि भगवान के स्तन नहीं होते, ऐसी स्थिति में यह किस प्रकार कहा जा सकता है कि सूर्याभ देवता के विमान में मिलने वाली मूर्ति जिनेन्द्र भगवान् की प्रतिमा है ?
आप लोग नन्दीश्चर द्वीप में तीर्थंकरों की मूर्तियों के अस्तित्व को किस प्रकार सिद्ध कर सकते हैं ? . भगवान के द्वारा नन्दीश्वर द्वीप के वर्णन को सुन कर जो लब्धि धारी साधु नन्दीश्वर द्वीप गया था, उसने वहां जा कर जो कुछ किया, उसको 'वंदयिता' पद से सूत्र में प्रकट किया गया है। वन्दना, स्तुति अथवा गुणों का वर्णन करने को कहते