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महासती की भविष्यवाणी
१२६ आर्यों की संख्या श्राधी भी समझ लें तो भी १२॥ देश आर्य रहे । क्या इन सभी को अक्षय सुख प्राप्त होता है ? भगवान्-नहीं। आर्य कुल वालों के भी तीन भेद हैं
मिथ्यात्वी, मिश्र तथा सम्यक्त्वी। इनमें से उलटी बुद्धि वाले को मिथ्यात्वी कहते हैं। सीधी बुद्धि वाले को सम्यक्त्वी कहते हैं। जैसा कि आचारांग सूत्र के प्रथम श्रुत स्कन्ध के अध्ययन ५ के उद्देशक ५ में कहा गया है
'समियं' ति मन्नमाणस्स 'समिया' वा
'असमिया' वा समिया होइ उवेहाए । जिसकी श्रद्धा सम्यक है उसे सम्यक या असम्यक दोनों प्रकार की वस्तुएं सम्यक विचारणा के कारण सम्यक् रूप में परिणत हो जाती . हैं। मिश्र अच्छे अथवा बुरे में कोई भेद न ससम कर दोनों को एक समान समझता है। सम्यक्त्वी सही को सही तथा ग़लत को ग़लत मानता है। सो अषयसुख मिथ्यात्वी तथा मिश्र को छोड़कर केवल सम्यक्त्वी को ही प्राप्त होता है।
गौतम स्वामी-भगवन् ! क्या वह अक्षयसुख सभी सम्यक्दृष्टियों को प्राप्त होता है ? ___ भगवान्-नहीं । सम्यक्त्वी दो प्रकार के होते हैं--एक व्रती, दूसरे अव्रती। जिनका जीवन मर्यादायुक्त है उन्हें व्रती तथा जिनका जीवन मयोदाहीन है उनको अव्रती कहते हैं। अक्षयसुख की प्राप्ति व्रती को ही होती है।।
गौतम स्वामी-भगवन् ! क्या अक्षयसुख की प्राप्ति सभी व्रतियों को होती है ?
भगवान् - नहीं । व्रती दो प्रकार के होते हैं। एक देशव्रती