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प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी इसको दूकान करवा ही देनी चाहिये । अब तो प्रश्न यह है कि यह दूकान के लिये सम्बडियाल और पसरूर मे से किस को पसन्द करता है।
गंडा मल-दूकान तो इसको पसरूर में ही करनी चाहिये।
मथुरादास-तो मैं आपकी आज्ञा से बाहिर थोड़े ही हूं। इसके अतिरिक्त सम्बडियाल की अपनी सरीफे की दूकान पर हमको घाटा भी हो रहा है। इसलिये इसका पसरूर मे दूकान खोलना ठीक रहेगा।
अस्तु, इसके कुछ ही दिन बाद सोहनलाल जी को पसरूर में सरोफे की स्वतंत्र दूकान खुलवा दी गई।