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___ आदर्श करुणा
१६७ __ तोते शाह के इन शब्दों को सुन कर दुर्गादास को बड़ी भारी प्रसन्नता हुई। उसने इसे धर्म का साक्षात् प्रभाव मान कर और भी दृढ़तापूर्वक धर्म का पालन करना प्रारम्भ किया। इस समाचार से उसके सारे परिवार को भी बड़ा भारी आनन्द हुआ।
इस समाचार को सुन कर मामी जी तत्काल समझ गई कि यह सोहनलाल का काम है। उन्होंने सोहनलाल जी के घर आने पर उनसे पूछा
मामी जी-बेटा ! तुमने तोते शाह को किस प्रकार राजी किया ?
इस पर सोहनलाल जी ने अपनी मामी को सारा समाचार सुना दिया। मामी जी सारा वृत्तांत सुन कर सोहनलाल की चतुरता पर अत्यधिक प्रसन्न हो कर उनसे कहने लगी
मामी जी-बेटा ! तुम सचमुच हमारे परिवार मे मुकुटमणि हों। . सोहनलाल-मामी जी ! यह सब आपका ही प्रताप है। यदि आप मुझे यह घटना न सुनाती, मुझे इस कार्य के करने की प्रेरणा न करती और तोते शाह का नाम न बतलाती तो मैं इस कार्य को किस प्रकार कर सकता था ?