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प्रतिवादीभयंकर मुनि सोहनलाल जी क्यों हुए ? क्या उनमें अतिशय नहीं था ? यदि वहां मंदिर नहीं थे तो आपका मत कल्पित सिद्ध होगा।
५. द्रोपदी जी ने किस जिन की पूजा की ? उस जिन्द का क्या नाम था ? उसका मंदिर कब बना था और उसकी प्रतिष्ठा किस आचार्य ने कराई थी?
६. भगबान ने प्रतिमा के पूजन का उपदेश किस नगर में दिया ? उसे किस श्रावक ने धारण करके उसका विधि विधान पूछा ? बत्तीस सूत्रों में कौन सा श्रावक ऐसा है ? पञ्चसमिति तथा त्रिगुप्ति का क्या स्वरूप है ।
७. हिंसा तथा दया के क्या कारण है ? और उनके कार्य क्या क्या है ?
८. मोकार मंत्र के पांचों पदों के चार निक्षेप किस प्रकार बनते हैं ? फिर उन में से कौन कौन से वंदनीय तथा कौन कौन से अवंदनीय हैं ? __ श्री मुनि सोहनलाल जी के द्वारा उपरोक्त प्रश्न किये जाने पर इन प्रश्नों का कोई उत्तर न देकर विशन चन्द जी ने कहा
"हम तो यहां पूज्य महाराज के दर्शन करने आए हैं।" खब श्री मुनि सोहनलाल जी ने कहा "आप पूज्य महाराज के दर्शन आनन्दपूर्वक करें।"
जब विशनचन्द आदि साधु जाने लगे तो श्री सोहनलाल जी महाराज कहने लगे
"यदि आत्मा राम जी को दर्शन करने हों तो वह भी कर लें।" .
इस पर पूज्य महाराज अमरसिंह जी बोले