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प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी नैतिक पतन की संभावना तो पग पग पर बनी रहती है। ___ सोहनलाल--आपश्री के आशीर्वाद से मुझे पूर्ण आशा है कि मैं सभी कठिनाइयों को पार कर इस व्यापार में सफलता प्राप्त करूंगा। ___इस प्रकार सोहनलाल का कार्य करने का उत्साह तथा सर्राफे के सम्बन्ध मे उनकी दृढ़ता देख कर लाला गडा मल के सारे परिवार ने निश्चित किया कि उनको सर्राफे के व्यापार की प्रारम्भिक शिक्षा दी जावे।
अस्तु एक शुभ महुर्त मे उनको सरोफे की दूकान पर काम सीखने के लिये विठला दिया गया। अव श्री सोहनलाल जी के हाथो से कसौटी शोसा देने लगी। उस समय यह किसी को भी आशा नहीं थी कि जो व्यक्ति आज कसौटी पर कस कर सुवर्ण की परीक्षा कर रहा है उसी का जीवन भविष्य मे धार्मिक कसौटी पर कसा जावेगा तथा वह उस परीक्षा में उत्तीर्ण होकर सम्पूर्ण जैन समाज के मस्तक का मुकुट मणि वन कर दशों दिशाओं मे अपनी यश ज्योति को प्रकाशित करेगा।
सोहनलाल जी ने सर्राफे की दुकान पर बैठ कर प्रथम इस बात पर ध्यान दिया कि ग्राहकों के साथ प्रेमपूर्ण तथा सच्चाई का व्यवहार किया जाये। साथ ही वह एकाग्र चित्त से विलक्षणता के साथ सुवर्ण परीक्षा के कार्य को भी सीखते जाते थे । सुवर्ण परीक्षा मे निष्णात हो जाने पर उन्होंने इस बात का ज्ञान प्राप्त किया कि इस प्रान्त में कौन कौन से आभूषण अधिक प्रचलित हैं तथा उनके बनाने वाले कहां कहां रहते हैं। इस प्रकार सर्राफे के सम्बन्ध में सभी बातों पर पूर्ण ध्यान रखते हुए वह एक वर्ष के भीतर व्यापार के सभी कार्यों मे अत्यन्त निपुण हो गए।
जब सोहनलाल जी व्यापार कार्य में पूर्णतया निपुण हो