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प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी दूसरे सर्वव्रती । व्रतों को एक देश पालने वाले गृहस्थ को देशव्रती तथा व्रतों का पूर्णतया पालन करने वाले मुनियों को सर्वव्रती कहा जाता है। सो अक्षयसुख सर्वव्रती को ही मिलता है। ___ गौतम स्वामी-भगवन ! क्या सभी सर्वव्रती अक्षयसुख को प्राप्त करते हैं ?
भगवान्-'नहीं। सर्वव्रती दो प्रकार के होते हैं। एक पडवाई, दूसरे अपडबाई । व्रतों को तोड़ने वाले पडवाई तथा प्राण देकर भी नियम की रक्षा करने वालों को अडिवाई. कहा जाता है। सो अक्षयसुख अपडिवाई को ही मिलता है। ____ गौतम स्वामी-सगवन् ! क्या सभी अपडिवाई साघुओं को अक्षयसुख मिलता है ? ____ भगवान् नहीं। अपडिवाई दो प्रकार के होते हैं। एक कपायी, दूसरे अकषायी। जिस साधु में क्रोध, मान, माया या लोभ में से कोई भी कषाय हो उसे कपायी तथा कषायरहित को अकपायी कहते हैं। अक्षयसुख अकषायी को ही प्राप्त होता है।
गौतम स्वामी-भगवन् ! क्या सभी अकषायी साधुओं को अक्षय सुख प्राप्त होता है ?
भगवान्-नहीं। अकषायी दो प्रकार के होते हैं। एक सर्वज्ञ, दूसरे छद्मस्य । अक्षय सुख सर्वज्ञ को ही प्राप्त होता है, छद्मस्थ को नहीं।
भगवान महावीर तथा गौतम स्वामी के इस संवाद का वर्णन करके महासती शेरां जी ने अपने श्रोताओं से कहा____ "इस प्रकार अक्षय सुख की प्राप्ति अत्यंत कठिन है। उसकी प्राप्ति असंख्यात प्राणियों में से किसी एक को ही होती है। अतएव सज्जनों! उसकी प्राप्ति के लिये व्रती जीवन धारण करके