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महासती की भविष्यवाणी '
१३१ बराबर यत्न करते रहो। उसमें एक समय मात्र का भी प्रमाद मत करो। यह अवसर बार-बार नहीं मिलता। यदि आप इस अवसर का लाभ नहीं उठाओगे तो अन्त में आपको उसी प्रकार महान् पश्चात्ताप करना पड़ेगा जिस प्रकार एक अन्धे ने किया था।
___ "एक किला बिल्कुल निर्जन था । उसमें किसी प्रकार एक अंधा पुरुष घुस गया। जब उसे अंदर कोई भी अन्य पुरुष नहीं मिला तो वह बाहिर निकलने का प्रयत्न करने लगा। किन्तु उस किले में से बाहिर निकलने का एक ही द्वार था । बहुत कुछ भटकने के बाद उसके हाथ किले की दीवार लग गई। उसने विचार किया कि जब दीवार मिली है तो उसमें द्वार भी होगा। अतएव वह एक हाथ में लाठी पकड़े हुए तथा दूसरे से कोट की दीवार छूता हुआ आगे बढ़ने लगा + चलते चलते वह दरवाजे के पास आ गया। उसे खुजली की बीमारी थी । अतएव खाज उठने पर वह दीवार से हाथ हटा कर खुजाते २ चलने लगा। उसके खुजाने खुजाने में ही दरवाजा निकल गया। अब उसको उसी प्रकार सारे किले का फिर दुबारा चक्कर लगाना पड़ेगा। और यदि फिर उसने ऐसी गलती की तो उसको किले का तीसरा चक्कर भी लगाना पड़ेगा । उस अंधे के समान ही यह जीव भी है। यह संसार उस एक द्वार वाले किले के समान है। उसमें मनुष्य जन्म द्वार के समान है। किन्तु यह जीव मनुष्य जन्म पाकर भी विषय की खुजली खुजाने में ही इसको निकाल देता है । यदि तुमने भी इस मनुष्य जन्म को इसी प्रकार विषय सुखों का उपभोग करने में निकाल दिया तो फिर चौरासी लक्ष योनियों में चक्कर लगाना पड़ेगा । वास्तविक कल्याण फिर भी मनुष्य जन्म प्राप्त होने पर ही हो सकेगा। ऐसा समझ कर धर्म कार्य में