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प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी प्रबन्ध कर दूंगा कि भविष्य में तुम्हारे घर कभी भी चोरी नहीं होगी।
धारी को इस प्रकार आश्वासन देकर दोनों मित्र पाठशाला में पढ़ने लिखने मे लग गए। स्कूल का समय समाप्त होने पर सोहनलाल रामधारी के साथ उसके घर गए। वहां जाकर उन्होंने रामधारी की माता से पूछा
सोहनलाल-चाची जी ! यदि आपको हार मिल जावे तथा भविष्य में आपके घर चोरी होना बन्द हो जाये तो आप चोर का नाम जानने का आग्रह तो न करेगी ?
इस पर धारी की माता ने उत्तर दिया
"बेटा ! ऐसी अवस्था में माल मिल जाने के बाद मुझे चोर का नाम जानने की क्या आवश्यकता है ? यदि तू हार दिलवा कर हमारे घर आगे चोरी होना बन्द कर देगा तो मैं तेरे उपकार को जन्म भर नहीं भूलूगी। ___ इसके पश्चात् सोहनलाल ने रामधारो की माता के सामने सवको अपने पास बुलवाया। फिर उन्होंने रामधारी की माता से कह कर सींक के कुछ तिनके मंगवाए। तिनकों के आजाने पर सोहनलाल जी ने उनके ऊपर कुछ देर तक णमोकार मत्र पढ़ा। फिर उनके एक २ बालिश्त के टुकड़े बनाकर उन्होंने घर के प्रत्येक व्यक्ति को एक २ टुकड़ा देकर कहा
"जिस किसी ने हार चुराया होगा, उसका तिनका एक अंगुल बढ़ जावेगा ।"
सोहनलाल जी पर उस घर के सभी लोग पूर्ण श्रद्धा रखते थे। यद्यपि सोहनलाल जी अभी कुल नौ वर्ष के बालक थे, किन्तु रामधारी द्वारा उनके दुर्लभ गुणों का वर्णन सुन सुन कर