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प्रधानाचार्य श्री सोहमलाल जी इस पर सोहनलाल जी ने अपनी माता को किसान तथा सेठ की मार्ग की सारी घटना सुनाकर कहा कि----
"माता! उस किसान की बोरियां उठवाने में मेरे कपड़ों में कीचड़ लग गया ।"
अपने पुत्र की इस प्रकार की उत्कट सेवा भावना को 'देख कर लक्ष्मीदेवी को उस बीमारी की दशा में भी बड़ा भारी
आनन्द हुआ। उन्होंने इस कार्य के लिये अपने पुत्र को खूब शाबाशी दी।
धर्म के प्रताप से माता लक्ष्मीदेवी का रोग भी शीघ्र दूर होगया और वह स्वस्थ हो गई।
इसके कुछ दिनों बाद उन सेठ जी की अचानक सोहनलाल जी से भी भेंट होगई। अब तो उन्होंने सोहनलाल जी के उच्च श्राचरमा की बड़ी भारी प्रशंसा की।
- Hang