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मित्रों का सुधार सुधरे शठ पंडित संगति ते, अवनीत कलाधर ते सुधरे। सुधरे मिल पारस लोह सही, अरु ताम्र रसायन ते सुधरे ।। सुधरे विष औषधि वैदन ते, मलयागर ते तरुत्रा सुधरे । सुधरे ठग हिंसक साध थकी, भच कोटि अधा तपते सुधरे ।। ____ संसार में श्रेष्ठ संगति उसी को माना जाता है, जिससे उन्नति हो। श्रेष्ठ संगति के प्रभाव से, पतितों का सुधार होता है। पंडित की संगति, प्राप्त होने पर शठ का भी सुधार हो जाता है। कलावान् व्यक्ति की संगति से मूर्ख अविनयी व्यक्ति का भी सुधार हो जाता है। पाव मणि के स्पर्श से लोहा सुधर कर सोना बन जाता है । तांबे के रसायन के चतुर वैद्य के हाथों में जाने पर विष भी अमृत बन जाता है। मलयागिर चन्दन की संगति से साधारण वृक्ष भी चन्दन वग जाते हैं। साधु पुरुष की संगति से ठग तथा हिंसक भी सुधर जाते हैं तथा तए से करोडों जन्मों के पाप भी सुधर जाते हैं।
वास्तव में मित्र वही है, जो मित्रों का सुधार करे, उनके हृदय मे धर्म की श्रद्धा भरे तथा उनको बुरे मार्ग से हटा कर उत्तम मार्ग पर लगावे। किंतु ऐसे मित्र बड़े भाग्य से ही मिलते हैं। शास्त्रों में लिखा है कि अभयकुमार ने मित्र के नाते ही