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महासती की भविष्यवाणी
येषां न विद्या न तपो न दानं, . न चापि शीलं न गुणो न धर्मः । ते मृत्युलोके भुवि भारभूताः मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति ॥
(पञ्चतंत्र) जिन में न तो विद्या है, न तप है और जो दान नहीं करते तथा में जिनके शील, गुण अथवा धर्म ही है, वह इस मृत्युलोक में पृथ्वी पर केवल बोमा बम रहे हैं । यद्यपि उनका आकार मनुष्य के जैसा है, किन्तु वास्तव में उनका सभी आचरण पशुओं के समान है।
आज पसरूर नगर के धर्मात्मा पुरुषों के हृदय में उत्साह का समुद्र हिलोरें ले रहा है। उनका मन मयूर ज्ञानामृत की वर्षा के आनन्द में मग्न होकर नाच रहा है। जिसे देखो वही परम विदुषी महासती श्री शेरां जी महाराज के व्याख्यान की प्रशंसा कर रहा है। श्री शेरां जी महाराज ज्ञानामृत की वर्षा कर अनेक मन्य जीवों को सुपथ पर चलाती हुई जिज्ञासुजनों की ज्ञान पिपासा को शान्त करने वाली थीं। वह जैन धर्म के अहिंसा ध्वज को स्थान स्थान पर फहराती हुई अज्ञानियों के
परम विदुषी महासा शेरा जी महाराज
जिज्ञासुजनों का