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i अद्भुत न्याय, ३ भाभियों को एक सा समझना होगा।"
इस पर धारी की माता बोली "बेटा, में आगे से ऐसा ही किया करूगी।"
यह सुन कर रामधारी के सारे परिवार को बड़ा भारी हर्ष हुआ कि अब हमारे घर में लड़ाई झगड़े न होंगे।
सोहनलाल इस प्रकार रामधारी के घर न्याय करके अपने घर आ गए। तब उनकी माता लक्ष्मी देवी ने उनसे पूछा
"बेटा, आज इतनी देर कहां लगी ?" इस पर सोहनलाल जी ने उत्तर दिया
"माता जी, मैं धारी के यहां गया था।" __ इस पर माता लक्ष्मी देवी चुप हो गई। उधर रामधारी की माता जब सायंकाल के समय भोजन बनाने के लिये आटा निकालने लगी तो हार आदि चोरी की सभी वस्तुएं उसको मिल
गई: । उनको देखकर उसको ऐसी भारी प्रसन्नता हुई कि उसका . वर्णन नहीं किया जा सकता। उसने उसी समय सारे परिवार को बुला कर कहा '
"सोहनलाल है तो कुल नौ वर्ष का बालक, किन्तु उसकी बात सच्ची निकली । उसके पास निश्चय से कोई इष्ट है।"
इस प्रकार सोहनलाल जी की कीर्ति रामधारी के घर से निकल कर सम्पूर्ण सम्बडियाल नगर में फैल गई। रामधारी की माता ने शाह मथुरादास जी के घर जाकर लक्ष्मी देवी को सारी घटना कह सुनाई तथा उनको बधाई देते हुए कहा
"बहिन लक्ष्मी! तेरा सोहनलाल एक अनमोल रत्न है। उसने मेरे घर को स्वर्ग बना दिया है।" - रामधारी की माता के मुख से यह वचन सुन कर माता लक्ष्मी देवी को अत्यधिक प्रसन्नता हुई।