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णमोकार मंत्र का प्रभाव ऐसो पञ्च णमोयारो सव्वपावप्पणासणो । मंगलाणं च सव्वेसिं पहसं होइ संगलं ॥ पच नमस्कार मन सब पापों का नाश करता है। यह सब मंगलों में सर्वश्रेष्ट कल्याणकारी मंगल है।
संसार मे अनेक प्रकार का चमत्कार दिखलाने वाले करोड़ों मंत्र है, किन्तु जिस प्रकार पर्वतों में सुमेरु, नदियों मे गंगा नदी, समुद्रों में क्षीर सागर, पुष्पों में कमल, हाथियों से ऐरावत हाथी, राजाओं मे चक्रवर्ती, योद्धाओं मे वासुदेव, दानों मे अभय दान तथा शरीर मे मस्तिष्क को सबसे उत्तम माना जाता है उसी प्रकार सव मत्रों मे णमोकार मत्र सबसे उत्तम मत्र है । इस मत्र की आराधना करने वाले व्यक्ति के सकट की रक्षा १४००० देवता करते हैं। इस पञ्च परमेष्टी मत्र को चौदह सहस्त्र कार्यों के लिये चौदह सहस्र प्रकार से पढ़ा जाता है। इन विधियों के विधिविधान पृथक् २ है, जो गुरु कृपा से ही प्राप्त हो सकते है। इसी सत्र के प्रभाव से शिवकुमार का संकट टला था। इसी मंत्र के प्रभाव से कोटिभट श्रीपाल का भाग्योदय हुआ था। इसी के प्रभाव से सोमा सती के गले मे पड़ कर सर्प का पुष्पहार बन गया था। इसी मंत्र के प्रभाव से सुभद्रा सती ने कच्चे