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मातृ शिक्षा
ऐसे ही पाप कर्मों का बन्ध होता है ? इसके अतिरिक्त वैध डाक्टर भी रोगी के फोड़े आदि की चीर फाड़ करते समय उसको बहुत रुलाते हैं तो क्या उनको भी अशुभ कर्म का बंध होता है ? .. माता-नहीं, उनको ऐसे अशुभ कर्म का बंध नहीं होता। , सोहन-यह किस प्रकार हो सकता है ?
माता-बेटा, जो ब्यक्ति बुरी भावना से किसी का अपकार करने के लिये बारह कारणों में से किसी एक का सेवन करता है वह अशुभ कर्म का बंध करता है। किन्तु माता, पिता तथा वैद्य डाक्टर की भावना बुरी नहीं होती और वह बालक अथवा रोगी का हित ही चाहते हैं। इसलिये उनको इस विषय में अशुभ कर्म का बंध नहीं होता।
सोहन-माता जी, यह बात तो समझ में आ गई। किन्तु जो व्यक्ति हंसी मखौल में इन बारह कारणों में से किसी एक का सेवन करे तो क्या उसको भी महा पाप का बंध होता है ? __ माता-हां पुत्र, उसको अवश्य महा पाप का बंध होता है। भगवान महावीर ने कहा है कि मनुष्य हंसी में आठों कर्म भी बांधता है और सात भी।
सोहन-माता जी, ऐसा भी सुनने में आया है कि हंसी मखौल में बांधे हुए कर्म का बहुत बुरा फल मिलता है।
माता-हां, बेटा, तुम्हारी यह बात ठीक है। श्रीकृष्ण की पटरानी रुक्मिणीजी ने अपने पिछले जन्म में हँसी मखौल में एक मोरनी के अंडे रंग दिये थे, जिससे मोरनी सोलह घड़ी तक बहुत रोई। उसके फलस्वरूप रुक्मिणीजी को अपने प्रद्य म्न जैसे गुणवान् तथा भाग्यशाली पुत्र का जन्म से लेकर सोलह वर्ष