Book Title: Hajarimalmuni Smruti Granth
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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विभिन्न लेखक : संस्मरण और श्रद्धांजलियाँ : ११३
उनका त्यागतपमय जीवन, आज के साधु समाज के सम्मुख एक पावन आदर्श उपस्थित कर रहा है. पूज्य स्वामीजी म. का यह मधुर वाक्य 'जीवन की इस सूनी वेला में बार-बार स्मरण आता रहता है-"श्रीजमनाजी वृद्धा हैं, मुझे बार-बार यही ख्याल आता है कि इनके बाद तुम दो ही रह जाओगी." हुआ भी ऐसा ही. स्वामीजी म० के १४ माह के बाद ही वे भी स्वर्गलोकवासिनी हो गईं. श्री स्वामीजी म० की कठोर संयम-साधना का सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि शारीरिक दृष्टि से अत्यंत वृद्ध होते हुए भी उन्होंने स्थिरवास स्वीकार नहीं किया था. अपना आवश्यक कार्य वे-शिष्य बराबर सेवा में प्रस्तुत रहते हुए भी, स्वयं करते थे. मेरा अध्ययन और जीवननिर्माण उन्हीं की शुभ प्रेरणा का सुफल है. आज उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रभु से यही प्रार्थना है कि हमें भी उन्हीं के पथ पर चलते रहने की प्रेरणा मिलती रहे और आत्मकल्याण की आस्था अचल बनी रहे.
साध्वी श्रीचम्पाकुंवरजी
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श्रद्धा-आंजुरी राजस्थान के गांवों और नगरों में घूमते हुए पूज्यात्मा मुनि श्रीहजारीमलजी म० के दर्शन का मुझे अनेक बार अवसर प्राप्त हुआ. उन्हें मैंने निकट से देखा. उनकी मुझ पर बड़ी कृपा थी. उनके शिष्यों से भी मेरा निकट का सम्पर्क रहा है. उस महामना मुनि की सरल और कोमल भावना ने मेरे अन्तस को आलोकित और प्रभावित किया है. मुझे जब-जब जैन मुनियों से मिलने का प्रसंग आता है तब-तब एक आदर्श मुनि के रूप में उनकी पुण्य-स्मृति आये बिना नहीं रहती. आज मेरी उभरती श्रद्धा उनको स्मरण करके हृदय में समाहित हो रही है. वे जहाँ भी हों, मेरे स्नेह को स्वीकार करें, यही मेरी उनके प्रति श्रद्धा-आंजुरी है.
सन्त स्वामी रामदासजी शास्त्री, रामद्वारा समदड़ी
श्रद्धासमर्पण मेरे पूज्य पिताजी के साथ मुझे बहुत समय तक पूज्य श्रीहजारीमलजी महाराज के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था. उनके सतोगुणी स्वभाव और सरल हृदय से मैं बहुत प्रभावित हुआ हूँ. मेरे मानस में उनके प्रति प्रगाढ श्रद्धा रही है. ऐसे सन्तों का आधार पा कर ही धार्मिक व्यक्ति इस संसार में असंतोष की अनुभूति करते रहे हैं. ऐसे महान सन्त के लिये मेरी श्रद्धा सदा के लिये समर्पित है.
श्रीगोपालमलजी महता, जिला एवम् सब न्यायाधीश, अजमेर
श्रद्धान्वित हूँ वयोवृद्ध श्रद्धेय श्रीहजारीमलजी म. सा० अत्यन्त सरलस्वभाव तथा क्रियावान संत थे. आपने लम्बे समय तक संयम का पालन करते हुए बहुत से क्षेत्रों को पावन किया. उन महापुरुष के जीवन से हमें बहुत-सी शिक्षाएँ लेनी हैं. मैं उन महापुरुष के संयममय जीवन के प्रति श्रद्धान्वित हूँ.
श्रीसरदारमलजी कांकरिया
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