Book Title: Hajarimalmuni Smruti Granth
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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प्राचार्य मुनि जिनविजय : वैशालीनायक चेटक और सिंधुसौवीर का राजा उदायन : ५८१
कुण्डग्रामाधिनाथस्य नन्दिवद्धनभूभुजः ,
श्रीवीरनाथजेष्ठस्थ, जेष्ठा दत्ता यथारुचिः ! श्री महावीर के बड़े भ्राता का नाम नन्दिवर्धन था. इसका स्पष्ट उल्लेख आचारांग और कल्पसूत्र जैसे मूल सूत्रों में आया है. यथा-'समणस्स भगवओ महावीरस्स जिठे भाया नंदिवद्धरणे कासवगुत्तेणं (आचारांग पृ० ४२२, कल्पसूत्र में भी यही पाठ है) (कुछ देशों और जातियों में मामा की कन्या पर भानजे का प्रथम हक होता है. यह प्रथा बहुत समय पहले की है. आज भी महाराष्ट्र की कुछ जातियों में इस प्रथा का प्रचलन है. आवश्यक सूत्र की टोका में हरिभद्र सूरि ने 'देशकथा' के वर्णन में एक पुरानी गाथा दी है जिसमें कहा गया है कि देश--देश के रीति रिवाज अलग-अलग हुआ करते हैं. एक देश में जो वस्तु गम्य या स्वीकार्य होती है वही वस्तु दूसरे प्रदेश में अगम्य या अस्वीकार्य हो जाती है. जैसे-अंग और लाट देश में लोग मातुलदुहिता-मामा की लड़की को गम्य मानते हैं किन्तु गोड़ देश में उसे बहन मान कर अगम्य समझते हैं. वह गाथा यह है :
छंदो गम्मागम्मं जह माउलदुहियमंगलाडाणं,
अन्नेसिं सा भगिणी, गोलाईणं अगम्मा उ ! जिस प्रकार महावीर के मामा की पुत्री ने अपनी फूफी के लड़के नन्दिवर्द्धन के साथ विवाह किया था उसी प्रकार खुद महावीर की पुत्री प्रियदर्शना ने भी अपनी सगी फूफी सुदर्शना के लड़के जमालि नामक क्षत्रियकुमार से विवाह किया था. इसका उल्लेख अनेक प्राचीन और अर्वाचीन ग्रन्थों में है. आवश्यक सूत्र के भाष्य टीका और चूणि में भी यही बात मिलती है. जैसा कि-'कुंडलपुरं नगरं तत्थ जमाली सामिस्स भाइणिज्जो-तस्स भज्जा सामिस्स दुहिता' (हरिभद्रकृत आवश्यकसूत्र टीका पृ० ३१२).
भारत के दूसरे राजाओं के साथ चेटक का कौटुम्बिक संबंध मैं पहले ही कह आया हूं कि चेटक की कुल सात पुत्रियां थीं जिनमें से एक कुमारिका ही रही और शेष छहों ने अपने समय के ख्यातनाम राजाओं के साथ विवाह किया था, जिसका उल्लेख आवश्यकचूणि में इस प्रकार है : 'एतो य वेसालीए नगरीए चेडओ राया हेय कुलसंभूओ. तस्स देवीणं अण्णमण्णाणं सत्त धूताओ. पभावती, पउमावती, मिगावती, सिवा, जेट्ठा, सुजेष्ठा चेल्लण त्ति. सो चेडओ सावओ परविवाहकरणस्स पच्चक्खातं. धूताओ ण देति कस्स त्ति. ताओ माति मिस्सगाओ रायं आपुच्छित्ता अण्णास अच्छितकाणं सरिसगानं देति. पभावती वीतिभए उद्दायणस्स दिण्णा, पउमावती चंपाए दधिवाहणस्स, मिगावती कोसंबीए सताणियस्स, सिवा उज्जेणीए पज्जोतस्स, जेट्ठा कुंडग्गामे वद्ध माणसामिणो जेट्ठस्स णदिवद्धणस्स दिण्णा. सुजेट्ठा चेल्लणाय देवकारिओ अच्छंति.२ हैहय कुलोत्पन्न वैशाली के राजा चेटक की अलग-अलग रानियों से सात पुत्रियां हुईं—प्रभावती, पद्मावती, मृगावती, शिवा, जेष्ठा सुजेष्ठा तथा चेलना. राजा श्रावक था. उसे परविवाहकरण का प्रत्याख्यान था. इसलिए वह अपनी पुत्रियों का भी विवाह नहीं करता था. तब रानियों ने राजा की अनुमति लेकर अपनी पुत्रियों के सदृश राजाओं के साथ उनका विवाह कर दिया. इनमें प्रभावती का विवाह वीतिभय के राजा उदायन के साथ, मृगावती का कोशांबी के राजा शतानिक के साथ, शिवा का उज्जयिनी के राजा प्रद्योत के साथ, पद्मावती का चंपा के राजा दधिवाहन के साथ और जेष्ठा का कुण्डग्रामवासी महावीर के जेष्ठ भ्राता नन्दिवर्धन के साथ हुआ था. सुजेष्ठा और चेलना अभी कुंवारी थी. आचार्य हेमचन्द्र के महावीरचरित्र में भी यही बात है :
१. 'त्रिषष्ठिशलाकापुरुषचरित्र' दसवां पर्व, पृ० ७७ (प्रकाशक भाव नगर जैनधर्म प्रसारक सभा). २. आवश्यक चूर्णि, आवश्यक हरिभद्रीय टीका पृ० ६७६-७.
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