Book Title: Hajarimalmuni Smruti Granth
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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जैनाचार्य श्रीविजयेन्द्र सूरीश्वरजी विद्याभूषण, विद्यावल्लभ इतिहास तस्य महोदधि
तुम्बवन और आर्य वज्र
जैन-ग्रन्थों में आर्य वज्र का नाम बड़े महत्त्वपूर्ण शब्दों में लिया गया है. 'श्रीदुसमा काल समणसंघ थये' में दिये प्रथमो दययुगप्रधान यंत्र में वे सुधर्मास्वामी के १५ वें युगप्रधान पट्टधर बताये गये हैं और लिखा है कि उन्होंने ८ वर्ष गृहवास किया, ४४ वर्ष व्रतपर्याय पाला, ३६ वर्ष युगप्रधान रहे और इस प्रकार ८८ वर्ष ७ मास ७ दिन की सर्वायु बितायी. ' भगवान् महावीर से ५४८ वर्ष पश्चात् उनका निधन हुआ.
जैन ग्रंथों में सर्वत्र आर्य वज्र का जन्मस्थान तुम्बवन बताया गया है. उनमें से कुछ का प्रमाण हम यहाँ दे रहे हैं :
१. तु बत्रणसंनिवेसा निग्गयं पिउसगासमल्लीणं, छम्मासियं छसु जयं माऊय समन्नियं वंदे ॥७६५ |
२. तुम्ववणसरिवेसे धणगिरिणाम गाहावती ३. अवंती जणवए तुम्बरणसन्निवेसे धणगिरी नाम इब्भपुत्तो
७. स्त्यवन्तीति देशः चमासरसीसरसीरुहम् ।
गुग्राम बस रमागिरी |२७| तत्र तु बबनो नाम निवेशः क्लेशवर्जितः
- आवश्यक हारिभद्रीय टीका, प्रथम भाग, पत्र २८६ १. ४. श्रवंतीजणवए तुम्बत्रण सन्निवेशे धणगिरी नाम इन्भपुत्तो—आवश्यक मलयगिरि टीका, द्वितीय भाग पत्र ३८७-१. ५. तुम्वयनाख्यसंनिवेशान्निर्गतं - आवश्यक निर्युक्तिदीपिका, भाग १, पत्र १३६-२. ६. तुरंबवणसन्निवेसे अवंतीविसभि धणगिरि नाम इब्भसुश्रो असि नियंगचंगिमाविजियसुररुवो ॥११०॥ - उबएस माला सटीक, पत्र २०७.
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- आवश्यक नियमित (दीपिका, भाग १ पत्र १११-२ ). - आवश्यक चूर्णि, प्रथम भाग, पत्र ३६०.
"१२६।
८. अस्यैव जम्बूद्वीपस्य भरतेऽयन्तिनीवृत्ति, आस्ते तुभ्यवनमिति सन्निवेशनमद्भुतम् ।
२. अतिरिति देशोऽरित स्वदेशीयः ॥२॥ तत्र तुम्बवनमिति विद्यते सन्निवेशनम्,
१. पट्टावलीसमुच्चय प्रथम भाग पृष्ठ २३.
२. श्रीवीरादष्टचत्वारिंशदधिक पंचशत ५४८ वर्षांते.
१०. थेरे श्रज्जवइरे त्ति तुम्बवनग्राम
3. तुम्ययन ग्रामे सुनन्दाभिधानां भार्या साचानां मुक्त्वा धनमिरिया दीक्षा गृहीता ।
- प्रभावक चरित्र, पृष्ठ ३.
- ऋषिमंडलप्रकरण, पत्र १६२-१.
- परिशिष्ट पर्व, सर्ग १२, द्वितीय संस्करण पृष्ठ २७० - कल्पसूत्र किरणावली, पत्र १७० १.
- कल्पसूत्र सुयोधिक टीका, पत्र ५११.
- श्रीपट्टावलीसारोद्धारः पट्टावली समुच्चय पृष्ठ १५०.
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